पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤• : लव सिंह
मेरी अनà¥à¤¤à¤¿à¤® परीकà¥à¤·à¤¾à¤à¤ समापà¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ थीं à¤"र मैं उदयपà¥à¤° से अपने पैतृक नगर सूरत टà¥à¤°à¥‡à¤¨ से जाने वाला था। शाम के चार बजे थे, मैं सही समय पर सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ पहà¥à¤à¤š गया था, मेरी सीट किनारे à¤"र नीचे वाली थी। मैं टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में बैठा हà¥à¤† सोच रहा था कि आगे कà¥à¤¯à¤¾ करना है। वैसे टà¥à¤°à¥‡à¤¨ में कोई अधिक à¤à¥€à¤¡à¤¼ नहीं थी। जैसे ही टà¥à¤°à¥‡à¤¨ चलने लगी, मैंने देखा कि à¤à¤• à¤"रत जो लगà¤à¤— तीस-बतà¥à¤¤à¥€à¤¸ साल की थी, आई। उसने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछा- आपकी सीट कौन सी है?
मैंने उसे बताया â€" “सीट नमà¥à¤¬à¤° गà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹â€
उसने अपनी टिकट देखी उसकी सीट की संखà¥à¤¯à¤¾ बारह थी, यानि ऊपर वाली सीट। उसके साथ उसका तीन साल का लड़का à¤à¥€ था। वह खिड़की पर आकर बैठगया।
उस महिला ने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछा,â€à¤•à¥à¤¯à¤¾ सामान रखने में आप मेरी थोड़ी सी सहायता कर सकते हैं?â€
मैंने उसकी सहायता की à¤"र सारा सामान सही-सही सीट के नीचे रख दिया। वह ऊपर जाकर बैठगई। उसका लड़का नीचे ही बैठा था à¤"र मेरे साथ खेल रहा था।
टà¥à¤°à¥‡à¤¨ चलती गई, à¤à¤• घंटे के बाद पहला सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ आया, तो वह नीचे उतर आई à¤"र चाय वाले को आवाज़ देकर चाय लेकर पीने लगी। मैंने à¤à¥€ चाय ली। जब वह पैसे देने लगी, तो मैंने कहा कि मैं दे देता हूà¤, à¤"र मैंने दोनों की चाय के पैसे दे दिà¤à¥¤ थोड़ी देर बाद हम बातें करने लगे। वह नीचे की सीट पर ही बैठी थी।
“मेरा बचà¥à¤šà¤¾ परेशान तो नहीं कर रहा है?â€
“नहीं… बिलà¥à¤•à¥à¤² नहीं†मैंने उतà¥à¤¤à¤° दिया।
“आप कहाठजा रही हैं?†चाय पीते-पीते ही मैंने उससे पूछा।
“मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ !†उसने बताया।
“आपके पति नहीं जा रहे हैं?â€
उसने बताया कि उसका तलाक़ हो चà¥à¤•à¤¾ है à¤"र वह अपने à¤à¤¾à¤ˆ के घर जा रही है। कà¥à¤› देर की चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ के बाद हमारी बातें दà¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥ हो गईं।
उसने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछा,â€à¤†à¤ª कà¥à¤¯à¤¾ करते हैं?â€
“मैंने अà¤à¥€-अà¤à¥€ कॉलेज की पढ़ाई खतà¥à¤® की है à¤"र मैं घर जा रहा हूà¤à¥¤â€
थोड़ी देर बाद मैंने अपने बैग में से मिकà¥à¤¸à¤šà¤° नमकीन निकाले à¤"र उसे à¤'फर किया तो वो à¤à¥€ मेरे साथ खाने लगी। अब मैं उसके बिलà¥à¤•à¥à¤² पास बैठा था à¤"र मैंने मिकà¥à¤¸à¤šà¤° वाला हाथ उसकी गोद में रख दिया तो मेरा हाथ उसकी जाà¤à¤˜ को छूने लगा। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ के हिलने से मेरा हाथ उसकी जाà¤à¤˜ से रगड़ रहा था, शायद उसे à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ लग रहा था।
फिर हम दोनों के बीच काफी बातें हà¥à¤ˆà¤‚। उसने मà¥à¤à¤¸à¥‡ पूछा- कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ कोई गरà¥à¤²à¤«à¥à¤°à¥‡à¤£à¥à¤¡ है?
तो मैंने कहा- नहीं !
उसने कहा- à¤à¤¸à¤¾ हो ही नहीं सकता।
तो मैंने कहा- कोई पसनà¥à¤¦ ही नहीं आई।
थोड़ी देर बाद शाम के सात बज गठà¤"र बाहर अनà¥à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हो गया। टà¥à¤°à¥‡à¤¨ क़रीब-क़रीब खाली थी। हम लोगों को कोई à¤à¥€ देखता तो यही समà¤à¤¤à¤¾ था कि पति-पतà¥à¤¨à¥€ होंगे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हम काफी आराम से बातें कर रहे थे।
कà¥à¤› देर के बाद मैं पैर फैलाने को हà¥à¤† तो वह सरक गई। मैंने à¤à¥€ उससे कहा- आप थक गईं होंगी, आप à¤à¥€ पैर फैला लीजिà¤à¥¤
वह à¤à¥€ अधलेटी सी हो गई। अब उसके पाà¤à¤µ मेरी à¤"र à¤"र मेरे पाà¤à¤µ उसकी à¤"र थे। उस समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लग रही थी, तो मैंने शॉल à¤"ढ़ ली। मेरा à¤à¤• पाà¤à¤µ उसकी गाà¤à¤¡ से à¤"र उसका à¤à¤• पाà¤à¤µ मेरी गाà¤à¤¡ से छू रहा था।
थोड़ी देर में मà¥à¤à¥‡ अचà¥à¤›à¤¾ लगने लगा à¤"र वह à¤à¥€ उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ हो गई। मेरा लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने थोड़ी à¤"र आज़ादी से अपने पैरों को उससे छà¥à¤†à¤¯à¤¾ तो वह कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं बोली। मैं à¤à¥€ समठचà¥à¤•à¤¾ था कि वह तैयार है। अब वह à¤à¥€ मà¥à¤à¥‡ ठीक से छूने लगी थी। मैंने खà¥à¤œà¤¼à¤²à¥€ करने के बहाने उसके पैरों को छà¥à¤† तो उसने कहा- ठीक से पैर फैला लो।
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पूरी कहानी यहाठहै !
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