Monday, April 25, 2011

कहानी एक रात की



प्रेषक : राहुल रायचन्द

मेरे चाची की एक भतीजी थी जो देखने में बहुत ही सुंदर थी। वो इतनी सुंदर थी कि मानो कोई परी हो ! मैं जब भी उसे देखता तो सोचता कि काश यह मेरी गर्ल-फ्रेंड होती तो कितना अच्छा होता ! देखते ही देखते वो à¤"र बड़ी हो गई à¤"र मैं भी बड़ा हो गया à¤"र अब मैं सब समझने लग गया था क्योंकि मेरी उम्र 21 साल की हो गई थी à¤"र वो मुझसे बड़ी थी इसलिए उसकी उम्र 23 साल हो गई थी। समय के साथ-साथ उसका फीगर à¤"र भी ज्यादा सेक्सी हो गया था, उसकी चूची इतनी बड़ी हो गई थी कि जैसे दो मोसम्म्बी हों रस से भरी हुई ! à¤"र उसकी गांड तो इतनी सुन्दर लग रही थी कि जो भी देखे बस यही सोचने लगे कि बस एक बार इसे मसल दूँ ! उसे देखकर कोई भी उसे मन में ही चोद दे इतनी सुन्दर थी वो !

समय बीतता चला गया। फ़िर एक बार हुआ यूँ कि हमारे घर पर एक कार्यक्रम था जिसमें सभी को बुलाया था, सो वह भी आई थी। उसे देखकर मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल ही हो गया था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे बस उसका हाथ पकड़ा à¤"र उसे अपने कमरे में ले गया ! हम दोनों बचपन से ही खूब बाते करते थे इसलिए किसी ने कुछ नहीं कहा ! फ़िर मैंने उससे उसके हाल चाल पूछे à¤"र इधर की ढेर सारी बात करी लेकिन मेरे मन में तो कुछ à¤"र ही चल रहा था सो मैंने उससे पूछ लिया कि इतनी बड़ी हो गई हो, कोई दोस्त बनाया या नहीं?

तो उसने नहीं में जवाब दिया। मुझे यह सुनकर à¤"र भी ख़ुशी हुई à¤"र मैंने उसे एक आँख मार दी तो उसने कहा- तेरा इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा है ?

फिर मैंने उसे कहा- मैं तुझे बहुत चाहता हूँ à¤"र बहुत पसंद करता हूँ। लेकिन तुझे मैं कैसा लगता हूँ? क्या तू मुझे पसंद करती है?

तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया à¤"र बस मेरी तरफ आँख मार के चली गई ! फ़िर मैंने उससे थोड़ी देर बाद यही पूछा तो कहने लगी- तू यह सब क्यों पूछ रहा है? तू मुझे अच्छा लगता है à¤"र इसीलिये ही मैं तुझसे बात करती हूँ।

तो फिर मैंने उसे “आई लव यू” कह दिया à¤"र उसके गाल पर एक चुम्मा जड़ दिया। जवाब में उसने भी चुम्मा दे दिया। फ़िर हम दोनों कमरे से बाहर आ गए à¤"र वो अन्य लोगों से बातें करने लग गई à¤"र मैं घर के काम में लग गया।

फ़िर जब शाम हुई तो मैंने उसको अपने कमरे में आने का इशारा किया। जब वो कमरे में आई तो मैंने उसे जोर से पकड़ लिया à¤"र उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये à¤"र उसके होठों का रस पीने लगा।

क्या होंठ थे ! उसके एकदम शहद से भरे !

मैंने उसके अधर इतनी जोर से चूसे कि वो गुलाबी से लाल हो गए।

à¤"र फ़िर वो भाग गई बाहर !

उसके बाद अगले दिन वो जब भी मुझे देखती अपने होठों को काटने लगती। फ़िर शाम हो गई à¤"र घर पर कार्यक्रम चालू हो गया। सभी लोग बाहर थे, मैं भी बाहर था लेकिन घर का सारा काम मुझे ही करना था इसलिए मैं घर के अंदर गया à¤"र उसे भी इशारा कर दिया। फ़िर हम दोनों घर में अकेले ही रह गए à¤"र हमने खूब चूमा-चाटी की। फ़िर मैंने अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया, जिससे वो सिहर गई à¤"र मेरा हाथ हटाने लगी। तब मैंने उसका हाथ पकड़ लिया à¤"र उसकी दूसरी चूची पर भी हाथ रख दिया।

वो उत्तेजित हो गई à¤"र अपने होठों को काटने लगी à¤"र मुझसे कहने लगी- मैं….

पूरी कहानी यहाँ है !

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